अभियुक्त ने फेसबुक/व्हाट्सऐप पर फर्जी प्रोफाइल एवं कई अंतरराष्ट्रीय/स्थानीय मोबाईल नंबरों का उपयोग कर शिकायतकर्ता का विश्वास जीता, प्रारम्भ में छोटे रिटर्न देकर निवेश के लिए प्रोत्साहित किया गया
पीड़ित को अभियुक्त ने स्वयं को वित्तीय सलाहकार, कार्यालय/कंपनी (आईएफडीसी इन्वेस्टर ) का प्रतिनिधि बताकर निवेश का लालच दिया तथा बाद में धमकी, ब्लैकमेल व भय दिखाकर ठगी की गई
अभियुक्त ने शिकायतकर्ता से 28 जुलाई 2020 से 09 अगस्त 2024 के बीच निवेश के बहाने विभिन्न बैंक खातों में कुल लगभग *₹98,00,000/- (अठानबे लाख)* की धनराशि हस्तांतरित करवाई गई
अभियुक्त को धारा 41 सीआरपीसी का नोटिस दिये जाने के बावजूद वह लगातार जाँच से बचता रहा, जिस कारण न्यायालय से गैर-जमानती वारंट प्राप्त कर अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया
अभियुक्त के बैंक खातों के खिलाफ देश के विभिन्न राज्यों में साइबर अपराधों की शिकायतें दर्ज है
देहरादून। पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड, दीपम सेठ के मार्गदर्शन में, साइबर पुलिस निरंतर लोगों के पैसे बचाने, जागरूकता अभियान चलाने और देश भर से गिरफ्तारियां करने में सक्रिय है। साथ ही, साइबर अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई कर साइबर पीड़ितों को न्याय दिलाने का काम भी प्रभावी रूप से किया जा रहा है। अभियोगों की समीक्षा एडीजी लॉ एवं आर्डर/साइबर डॉ. वी. मुरुगेसन तथा आईजी लॉ एवं आर्डर/साइबर डॉ. नीलेश आनंद भरने द्वारा समय-समय पर दिए जाने वाले दिशा-निर्देशों के अनुरूप की जाती है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ, नवनीत सिंह द्वारा जानकारी दी गई कि एक प्रकरण देहरादून निवासी द्वारा दिसम्बर 2024 को साइबर थाना देहरादून में दर्ज कराया गया था।जिसमें पीड़ित को जुलाई 2020 में फेसबुक/व्हाट्सऐप के माध्यम से परिचित कराए गए एक कथित वित्तीय सलाहकार तथा उसके सहयोगी एवं अन्य अज्ञात लोगों ने व्हाट्सऐप कॉल, मैसेज एवं विभिन्न मोबाइल नंबरों से संपर्क कर निवेश के बहाने शरूआती रिटर्न देकर विश्वस्त किया और 28 जुलाई 2020 से लेकर 9 अगस्त 2024 तक के दौरान शिकायतकर्ता से अलग-अलग बैंक खातों में कुल लगभग ₹98,00,000/- (अठानबे लाख) के करीब धनराशि जमा करवाई , बाद में आरोपियों ने न तो उक्त राशि लौटाई और न ही कोई लाभांश दिया बल्कि धमकी व ब्लैकमेल कर के कहा कि पैसा अवैध गतिविधियों (डेटिंग ऐप्स, चुनावी फंडिंग, शेयर बाज़ार आदि) में उपयोग हुआ है तथा यदि रिपोर्ट किया तो परिवार को नुकसान पहुँचाया जाएगा इस प्रकार व्हाट्सएप नंबर, फर्जी पहचान व तकनीकी साधनों का प्रयोग कर सुनियोजित साइबर ठगी को अंजाम दिया गया ।
प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ उत्तराखण्ड के दिशा निर्देशन में मामले का प्रवेक्षण अपर पुलिस अधीक्षक, स्वप्न किशोर, सहायक पुलिस अधीक्षक कुश मिश्रा व पुलिस उपाधीक्षक, अंकुश मिश्रा एवं विवेचना अपर उप निरीक्षक सुनील भट्ट साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन, देहरादून के सुपुर्द कर अभियोग के शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये। साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/ रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बरों / व्हाट्सअप की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनियों, मेटा कम्पनी से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया। प्राप्त डेटा के विश्लेषण से प्रकाश मे आये अभियुक्त मृदुल सूर पुत्र एम. के. सूर निवासी महेशपुर, थाना इगरा, जिला पूर्वी मिदनापुर, पश्चिम बंगाल के रूप में की गई जो फर्जी प्रोफाइल व अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल नंबरों उपयोग कर लाखों की साइबर ठगी को अंजाम देने के लिए अलग-अलग नामों से प्रोफाइल व इंटरनेशनल नंबरों का इस्तेमाल किया जाता था इसी क्रम में आरोपी अभियुक्त मृदुल सूर पुत्र एम. के. सूर को फ्लैट नं. बी/1ए, सुकासा टावर, 30 खोलीका कोटा रोड, ईडन पार्क, कोलकाता, पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया व साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन द्वारा न्यायालय में उपस्थित कराकर अग्रिम विवेचनात्मक कार्यवाही विधिक प्रावधानों के तहत की गई।
अभियुक्त ने व्हाट्सऐप कॉल, मैसेज और अलग-अलग मोबाइल नंबरों का उपयोग कर शिकायतकर्ता का विश्वास जीता। अज्ञात ने स्वयं को वित्तीय सलाहकार बताकर ऊँचे रिटर्न का लालच दिया और शुरू में कुछ राशि वापस कर भरोसा बढ़ाया। इसके बाद आरोपियों ने निवेश के नाम पर विभिन्न बैंक खातों में बार-बार धनराशि मंगवाई और कुल लगभग ₹98,00,000/- की ठगी की। जब शिकायतकर्ता ने रकम वापसी चाही तो आरोपियों ने धमकी व ब्लैकमेल कर कहा कि पैसा अवैध कार्यों में लग चुका है और परिवार को नुकसान पहुँचाने की चेतावनी दी।
प्रारंभिक पूछताछ में यह तथ्य प्रकाश में आया कि इस प्रकरण में आरोपित मृदुल सूर व उसके सहयोगियों अलग-अलग सदस्य वित्तीय सलाहकार, बैंक खाता धारक तथा तकनीकी सहयोगी की भूमिका निभाते थे। गिरफ्तार किया गया अभियुक्त मृदुल सूर भी इसी नेटवर्क का सक्रिय सदस्य है, जिसने अपनी पत्नी के नाम पर बैंक खाता खुलवाकर उसमें प्राप्त ठगी की राशि को स्वयं प्रयोग किया और अन्य खातों में ट्रांसफर किया। उसने स्वीकार किया कि लालच में आकर खाते उपलब्ध कराए और ठगी की रकम एटीएम व ट्रांसफर के माध्यम से निकाली। उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस टीम की सतत कार्रवाई के परिणामस्वरूप इस प्रकरण में मृदुल सूर की गिरफ्तारी की गयी , जबकि अन्य की तलाश व गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।
गिरफ्तार अभियुक्त का नाम व पता
मृदुल सूर पुत्र एम. के. सूर निवासी महेशपुर, थाना इगरा, जिला पूर्वी मिदनापुर, पश्चिम बंगाल
बरामदगी
01 मोबाइल फोन (सिम सहित), जो संबंधित बैंक खाते में उपयोग किया गया था
04 चेक बुक
03 पासबुक
02 एटीएम कार्ड
गिरफ्तारी पुलिस टीम
अपर उ0नि0 सुनील भट्ट
कानि0 सोहन बडोनी
विशेष तकनीकी सहयोग
अपर उ0नि0 मनोज बेनीवाल, हे0कानि0 राजाराम गोदियाल
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ उत्तराखण्ड, नवनीत सिंह द्वारा जनता से अपील की है कि डिजिटल अरेस्ट एक स्कैम है जो वर्तमान में पूरे भारत वर्ष में चल रहा है, कोई भी सीबीआई अफसर, मुम्बई क्राईम ब्रान्च, साइबर क्राइम, आईटी या ईडी अफसर या कोई भी एजेंसी आपको व्हाट्सएप के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट करने हेतु नोटिस प्रेषित नहीं करती है। साथ ही कोई व्यक्ति आपको फर्जी दस्तावेज, अवैध सामग्री आदि के नाम पर आपको डरा धमका रहा है या पैसों की मांग कर रहा है तो इस सम्बन्ध में एसटीएफ/साइबर थानों में अतिशीघ्र अपनी शिकायत दर्ज करायें। उक्त सम्बन्ध में ज्यादा से ज्यादा जागरुक हों। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार के लोक लुभावने अवसरों/फर्जी साइट/धनराशि दोगुना करने व टिकट बुक करने वाले अंनजान अवसरो के प्रलोभन में न आयें । किसी भी प्रकार के ऑनलाईन कम्पनी की फ्रैन्चाईजी लेने, यात्रा टिकट आदि को बुक कराने से पूर्व उक्त साईट का स्थानीय बैंक, सम्बन्धित कम्पनी आदि से पूर्ण वैरीफिकेशन व भली-भाँति जांच पड़ताल अवश्य करा लें तथा गूगल से किसी भी कस्टमर केयर का नम्बर सर्च न करें व शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन से सम्पर्क करें । अगर आपको ऐसी ही कोई कॉल या मैसेज आए तो इसकी शिकायत जरूर करें। सरकार ने साइबर और ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए संचार साथी वेबसाइट पर चाक्षु पोर्टल लॉन्च किया है। आप इस तरह की घटना की शिकायत 1930 साइबरक्राइम हेल्पलाइन पर या http://www.cybercrime.gov.in पर भी दर्ज करा सकते हैं।