August 10, 2025

अमित श्रीवास्तव, देहरादून/सुजाता वालिया, रुड़की

 

 

वर्तमान में देहरादून निवासी एक पीड़िता को साइबर ठगों द्वारा डिजिटल हाउस अरेस्ट कर 1 करोड़ 70 लाख रुपये ठगे जाने के मामले में हुआ इस गिरोह का पर्दाफाश

गिरोह द्वारा मुम्बई क्राईम ब्रान्च, सीबीआई के ऑफिसर बन स्काईप एप्प पर वीडियो कॉल व वॉइस कॉल माध्यम से पीड़िता को किया गया था डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल हाउस अरेस्ट कर करोड़ो की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह का सदस्य हरियाणा से गिरफ्तार

देहरादून। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ, नवनीत सिंह* द्वारा जानकारी देते हुये बताया कि देहरादून निवासी एक पीड़िता द्वारा कुछ दिन पूर्व साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन देहरादून पर आकर सूचना अंकित कराई कि उसके मोबाइल नं0 पर फेडेक्स कोरियर से एक कॉल आयी कि आपका एक पार्सल है जो मुम्बई से ताईवान के लिये भेजा गया था, उक्त पार्सल पर आपका नाम, मोबाइल नम्बर व ईमेल आईडी अंकित है और उस पार्सल में कुछ अवैध दस्तावेज व सामान जिसमें 05 पासपोर्ट, 05 एटीएम कार्ड, 01 लैपटॉप, 5000 यूएस डॉलर कैश, 200 ग्राम एमडीएमए नारकोटिक ड्रग तथा 04 किलो कपड़े मिले है जिसके आधार पर “पहचान की चोरी, ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग” मामले का हिस्सा होने का आरोप लगाकर गिरफ़्तार करने की धमकी दी और तथा 30 से 90 दिनों के लिए गैर-ज़मानती गिरफ़्तार होने के बात बतायी गयी फिर मुम्बई क्राईम ब्रान्च द्वारा पार्सल के बारे में जानकारी ली गयी और आधार कार्ड नम्बर पूछ गया और बताया कि आपका आधार कार्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में कई बार इस्तेमाल हो चुका है तथा इस मामले में व्यक्तिगत रुप से मुम्बई आकर केस में सहयोग करना होगा अथवा ऑनलाइन माध्यम से बयान दर्ज कराने को कहा गया। जिस पर उसके द्वारा ऑनलाइन बयान कराने का प्रस्ताव स्वीकार किया गया तो उनके द्वारा बताया कि स्काईप एप्प बयान दर्ज करवाने का अधिकारिक माध्यम है और स्काईप एप्प डाउनलोड करवाकर उक्त ऐप के सर्च में जाकर मुम्बई की एक क्राईम ब्रांच साईट पर कनैक्ट करवाकर वीडियो कॉल शुरु की गयी और चैट में पुलिस आईडी कार्ड भेजा गया व घण्टों तक पूरी जाँच प्रक्रिया समझाते हुये बताया गया कि उक्त सारी जाँच प्रक्रिया न्यायालय में पेश करने के लिये रिकॉर्ड की जायेगी जिसमें 02 घण्टे से 02 दिन भी लग सकते हैं तथा इस दौरान दरवाजा बन्द रखने व किसी से भी बात करने से मना किया गया। इसके बाद उसके सभी बैंक खातों की जानकारी प्राप्त कर खातों में अनियमितता पायी जाना बताकर इस प्रकरण में आरबीआई को भी शामिल करने की बात कहते हुये सारा पैसा वैरिफिकेशन हेतु बताये गये खाते में ट्रांसफर करने को बताया गया कि जाँच के बाद आपका सारा पैसा आपके खाते में वापस कर दिया जायेगा। उनके बताये अनुसार पैसा ट्रांसफर करने के बाद उनके द्वारा और अधिक रुपये ट्रांसफर करने को कहने पर जब वह असमर्थ रही तो ये लोग भड़क गये और धमकाने लगे की पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट पीसीसी न मिलने के कारण आपके इण्डिया के सारे अकाउण्ट फ्रीज हो जायेंगे और आपको 07 साल की सजा हो जायेगी और कॉल डिसकनैक्ट कर दी गयी। इसके बाद ही उन्हे अहसास हुआ कि उसके साथ करोड़ो रुपये की ठगी हो चुकी है।

साइबर अपराधियों द्वारा पीडित को डिजिटल हाउस अरेस्ट कर पीडित की जिन्दगी भर की कमाई धोखाधडी से हड़प ली गयी थी। प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ द्वारा घटना के शीघ्र अनावरण हेतु पुलिस टीम गठित कर अभियोग के सफल एवं शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये।

साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/मोबाइल नम्बरों आदि की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी, तथा मेटा एवं गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया और प्राप्त डेटा का गहनता से विश्लेषण करते हुये तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर इस घटना में शामिल मुख्य अभियुक्त को चिन्ह्ति किया गया एवं तलाश जारी करते हुये कई स्थानों पर दबिश दी गयी और आखिरकार साईबर पुलिस टीम द्वारा अथक मेहनत एवं प्रयास से तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुये अभियोग में संलिप्त मुख्य अभियुक्त मनी कुमार पुत्र सागर कुमार निवासी गली नं0 04, मधु कालोनी, चिटा मन्दिर थाना सिटि यमुनानगर हरियाणा को यमुनानगर हरियाणा क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया जिससे मौके पर 01 मोबाईल फोन वनप्लस , 02 डैबिट / क्रैडिट कार्ड, 02 आधार कार्ड, 01 पैन कार्ड बरामद हुआ।

डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसा तरीका है जिसमें जालसाज, लोगों को उनके घरों में ही फंसाकर उनसे धोखाधड़ी करते हैं। ये जालसाज फोन या वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं। साइबर अपराधियों द्वारा बेखबर लोगों को अपने जाल में फंसाकर धोखा देकर उनकी गाढी कमाई का रुपया हडपने के लिये मुम्बई क्राईम ब्रान्च, सीबीआई ऑफिसर, नारकोटिक्स डिपार्टमेण्ट, साइबर क्राइम, आईटी या ईडी ऑफिसर के नाम से कॉल कर ऐसी गलती बताते हुये जो आपने की ही न हो जैसे आपके नाम/ आधार कार्ड आदि आईडी पर खोले गये बैंक खातों में हवाला आदि का पैसा जमा होने अथवाआपके नाम से भेजे गये कोरियर/पार्सल में प्रतिबंधित ड्रग्स, फर्जी दस्तावेज पासपोर्ट आदि अवैध सामग्री पाये जाना बताकर मनी लॉण्ड्रिंग, नारकोटिक्स आदि के केस में गिरफ्तार करने का भय दिखाकर व्हाट्सएप वाइस/वीडियो कॉल, स्काइप आदि के माध्यम से विवेचना में सहयोग के नाम पर अवैध रुप से डिजिटल हाउस अरेस्ट कर उनका सारा पैसा आरबीआई से जाँच/वैरिफिकेशन कराने हेतु बताये गये खातों में ट्रांसफर करवाकर धोखाधडी को अंजाम दिया जाता है।

कभी-कभी वे झूठ बोलकर पीड़ित के रिश्तेदारों या दोस्तों को भी किसी अपराध या दुर्घटना में उनकी संलिप्तता के बारे में बताते हैं, जिससे पीड़ित घबरा जाए। इसके बाद ये जालसाज खुद को पुलिस या सरकारी अफसर बताते हुए कहते हैं कि अगर वे पैसे देंगे तो मामला बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं, जालसाज तब तक उन्हें वीडियो कॉलिंग करते रहते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती।

ये जालसाज कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। कभी-कभी तो वे नकली पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तर का सेटअप बना लेते हैं और असली पुलिस की वर्दी जैसी दिखने वाली वर्दी पहन लेते हैं।

गिरफ्तार अभियुक्त का नाम पता

मनी कुमार पुत्र सागर कुमार निवासी गली नं0 04, मधु कालोनी, चिटा मन्दिर थाना सिटि यमुनानगर हरियाणा उम्र-24 वर्ष,

बरामदगी
01 मोबाईल फोन वनप्लस, 02 डैबिट / क्रैडिट कार्ड, 02 आधार कार्ड, 01 पैन कार्ड

गिरफ्तारी पुलिस टीम

निरीक्षक विकास भारद्वाज
उ0नि0 राजीव सेमवाल
अपर उ0नि0 सुरेश कुमार
कानि0 शादाब अली
कानि0 पवन पुण्डीर

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ उत्तराखण्ड, नवनीत सिंह द्वारा जनता से अपील की है कि डिजिटल अरेस्ट एक स्कैम है जो वर्तमान में पूरे भारत वर्ष में चल रहा है, कोई भी सीबीआई अफसर, मुम्बई क्राईम ब्रान्च, साइबर क्राइम, आईटी या ईडी अफसर या कोई भी एजेंसी आपको व्हाट्सएप के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट करने हेतु नोटिस प्रेषित नहीं करती है। साथ ही कोई व्यक्ति आपको फर्जी दस्तावेज, अवैध सामग्री आदि के नाम पर आपको डरा धमका रहा है या पैसों की मांग कर रहा है तो इस सम्बन्ध में एसटीएफ /साइबर थानों में अतिशीघ्र अपनी शिकायत दर्ज करायें। उक्त सम्बन्ध में ज्यादा से ज्यादा जागरुक हों। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार के लोक लुभावने अवसरों/फर्जी साइट/धनराशि दोगुना करने व टिकट बुक करने वाले अंनजान अवसरो के प्रलोभन में न आयें । किसी भी प्रकार के ऑनलाईन कम्पनी की फ्रैन्चाईजी लेने, यात्रा टिकट आदि को बुक कराने से पूर्व उक्त साईट का स्थानीय बैंक, सम्बन्धित कम्पनी आदि से पूर्ण वैरीफिकेशन व भली-भाँति जांच पड़ताल अवश्य करा लें तथा गूगल से किसी भी कस्टमर केयर का नम्बर सर्च न करें व शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन से सम्पर्क करें । अगर आपको ऐसी ही कोई कॉल या मैसेज आए तो इसकी शिकायत जरूर करें। सरकार ने साइबर और ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए संचार साथी वेबसाइट पर चाक्षु पोर्टल लॉन्च किया है। आप इस तरह की घटना की शिकायत 1930 साइबरक्राइम हेल्पलाइन पर या www.cybercrime.gov.in पर भी दर्ज करा सकते हैं।

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