
रुड़की : प्राचीन काल से आज तक शिक्षक को समाज के आदर्श व्यक्तित्व के रूप में स्वीकारा जाता है। प्रारम्भ में वह ब्रह्मा विष्णु तो कालान्तर में धर्मगुरु बन गया। यह तो निश्चित ही है कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व व निर्माण में शिक्षक की अद्वितीय भूमिका है। मनोविज्ञान के प्रभाव ने शिक्षा को बाल केन्द्रित बना दिया है। एसे में आधुनिक शिक्षा पद्धति में शिक्षक, शिक्षक होने के साथ-साथ अभिभावक, नेता, निर्देशक, सहयोगी, सलाहकार तथा निष्पक्ष निर्णायक आदि अनेक भूमिकाओं का निर्वाह करता है। आज शिक्षक अनेक प्रकार से विद्यार्थियों का सहयोग करता है। विद्यालय और विद्यार्थियों के प्रति समर्पित रहते हैं शिक्षक राजीव शर्मा, एक आदर्श अध्यापक के रूप में अपने दायित्वों का कर रहे हैं निर्वहन ।
इसी संदर्भ में आज रुड़की ब्लॉक के ऐसे शिक्षक के बारे में बात करते है जिनका आज जन्मदिन भी है उनकी अपने दायित्वों के प्रति निष्ठा, समर्पण, सवेदनशीलता जो सभी के लिए प्रेरणादायक है। रुड़की ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय हथियाथल में कार्यरत सहायक अध्यापक राजीव कुमार शर्मा ने अपने सेवाकाल में अनेक ऐसे कार्य किये है जो शिक्षा विभाग के लिए एक मिसाल बन गए है। उनकी उपलब्धियों में जब पूरी दुनिया कोरोना काल मे महामारी के दंश को झेल रही थी कोई भी व्यक्ति अपने घर से बाहर निकलने से डर रहा था शिक्षा विभाग की बात करें तो अबको शिक्षको की कोरोना ड्यूटी लगाई गई थी। ज्यादातर शिक्षको ने विभागीय आदेशो का पालन कर अपना दायित्व निभाया।
वहीँ उस समय राजीव शर्मा ने अपने विभाग के अधिकारियों को स्वयं प्रार्थना पत्र देकर कोरोना कार्य मे डयूटी करने हेतु पत्र लिखकर अपने आप को जन कल्याण हेतु समर्पित कर दिया था। इसी दौरान डयूटी करते हुए उक्त शिक्षक कोरोना से ग्रसित भी हुए लेकिन अपने आप को स्वस्थ कर पुनः अपने दायित्व पर डटे रहे । इस पुनीत कार्य हेतु राजीव शर्मा को शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर जिला अधिकारी हरिद्वार तक सम्मानित भी किया जा चुका है। दूसरी ओर निवर्तमान रुड़की मेयर गौरव गोयल द्वारा रुड़की में बंद पड़े प्राथमिक विद्यालयों को खोलने हेतु शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिख बन्द पड़े विद्यालयों को खुलवाया, जिसमे शिक्षा विभाग ने वर्षो से बंद पड़े प्राथमिक विद्यालय नम्बर 7 रामनगर रुड़की के संचालन की जिम्मेदारी राजीव शर्मा को दी गयी। जिसमे उक्त अध्यापक ने तन, मन, धन से बंद पड़े विद्यालय को बहुत कम समय मे चलाकर असम्भव कार्य को संभव कर दिखाया भले ही वो विद्यालय बाद में राजनीति की भेंट चढ़कर फिर से बंद हो गए हो लेकिन उक्त शिक्षक द्वारा अपने स्वयं के पैसे से इस विद्यालय का जीणोद्धार करने में काफी प्रयास किया।
शिक्षक वह नेता है जो विद्यार्थियों का नेतृत्व करता है विद्यार्थियों को सही दिशा-निर्देश देता है। समाज और समय की मांग के अनुसार विद्यालय में अनेक अनेक क्रियाओं को आयोजित करता है। विद्यार्थियों की विचार शक्ति को उत्प्रेरित करता है। अनेक प्रकार के मार्गों का उल्लेख करता है और बालक को सही रास्ता चयन कराने में सहायता करता है। बालक को समझता है। उसकी योग्यताओं, क्षमताओं का पता लगाना, उसकी रुचियों व अभिरुचियों को जानना, उसके व्यक्तित्व को पहचानना, उसके गुणों और कमियों को जानना और उनके आधार पर उसकी अध्ययन योग्यताओं का अनुमान करके सही दिशा-निर्देश देना, शिक्षक का आधारभूत काम है। शिक्षक के व्यावसाविक कार्य से सम्बन्धित जिस परिणाम की आशा है वह परिणाम प्राप्त करने का प्रयत्न करना शिक्षक का आधारभूत काम है।
जाति, धर्म, लिग अथवा अन्य किसी भेदभाव के बिना बालक के व्यक्तित्व को निखारना शिक्षक का आधारभूत काम है। शिक्षक समुदाय और समाज का एक सदस्य है। इसलिए समाज के मानकों के अनुरूप बालक के व्यक्तित्व का निर्माण करना शिक्षक का काम है तथा शिक्षक का सबसे अधिक महत्वपूर्ण और आधारी काम विद्यार्थियों के नैतिक एवं पारित्रिक विकास पर ध्यान देना है।